शनिवार, 31 दिसंबर 2011

मूल्यों को दे चुके बिदाई

नये साल की तुम्हे बधाई
बुरा वक्त है सम्हालना भाई
गया अन्धेरा विगत वर्ष का
नवीन वर्ष की भौर सुहाई 


बीता बरस था बड़ा ही क्रूर 

चक्रवात नदिया भरपूर 
क्रूर काल से कोई नहीं दूर 
समय के आगे सब मजबूर 
दुस्वप्नो ने नींद उड़ाई 
आंसू अरमानो की कमाई 
 सुख- संचय की दौड़ भाग में 
सुध-बुध खुद की बिसराई
 

करे प्रियंका नृत्य निराला 
प्रतिभा को दे देश निकाला 
टू-जी -स्पेक्ट्रम का घौटाला
बेईमान धन का रखवाला
सच्चाई के होठ सिल चुके 

तंत्र बना मकड़ी का जाला
मूल्यों को दे चुके बिदाई
गुंडों की हो चुकी रिहाई

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

मन कुन्दन बन जाये |


तेरा ईश तुझमे रहे,भीतर दीप जलाये
उर के तम को दीप्त करे,परमात्मा दिख जाये||1||
आग बबुला क्यो हुआ,पावक देह लगाये
मन मे शीतलता धरे,शिव सहज मिल जाये||2||
निर्मल कर निज आत्मा ,निर्विकार मिल जाये
दुर्जन दल दुष्टात्मा,पापी जन पछताय ||3||
कर्मयोग का मार्ग चले,जीवन ज्योत जलाय
आत्म बोध का तत्व मिले ,मन कुन्दन बन जाये ||4||
अमर्यादित आचरण ,तेरे मन क्यो भाय
समय बडा अनमोल है,स्वर्ण समय बीत जाय ||5||
सहन कर आलोचना ,भय क्यो तुझे सताय
छैनी पत्थर पर पडे,देवात्मा बस जाय ||6||
छप्पन के इस भोग का,लगा है ऐसा रोग
तिर्थों मे पण्डे पडे,बने तीर्थ उद्योग ||7||

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

रहे नयन विश्वास सदा


नयन बिन सौन्दर्य नही ,भरा नयन मे नीर
नयन बिन दिखते नही ,मनोभाव और पीर ||1||
रहे नयन विश्वास सदा ,नयन चलाते तीर
नयनो से आकृष्ट हुई,नयन चंचला हीर ||2||
नयन बिन सूरदास रहे ,बसे नयन रघुवीर
नयनो से दिखती नही ,आत्मा की तस्वीर ||3||
नयनो मे काजल बसे ,बसे लाज का नीर
नयनों के कटाक्ष यहा ,देते उर को पीर||4||
यह शरीर एक दुर्ग हैऔर नयन प्राचीर
जो नैनो से समझ सके,बने वही महावीर ||5||
दो नयनो से दिखे नही,बाते कुछ गम्भीर
अनुभव,प्रज्ञा नैत्र से,दिखे क्षीर और नीर ||6||

ह्रदय मे उल्लास भर कर,राह करना पार

जिन्दगी के पथ पर मत मान लेना हार
ह्रदय मे उल्लास भर कर,राह करना पार

दूर कर दिल कि टूटन को छोड दे मन की घुटन को
सामने मंजिल खडी है कर रही सत्कार

आदते  जो भी बुरी है छल कपट की वे धुरी है
आचरण अपना बदल दे है सत्य निर्विकार

सोच का विस्तार ही तो हर स्वप्न का आधार
श्रम देता है सदा ही हर सोच को आकार

हो रहा मानस दूषित ,भावनाये है  कलुषित
सच्चाई कि ताकत बनी है आज की तलवार

हर चूभन और घाव पर ही पड रहे है वार
भेद क्यो तू खोले मन का हर तरफ गद्दार





गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

सपनों का संसार


सपना अपना रह नहीं पाया
व्यथा ह्रदय की कह नहीं पाया

कुछ यादे सपनों में बसती
आशाओं की बहती कश्ती
मन की आशाओं का पंछी
केवल सपनों में उड़ पाया

सपनो का अपना आकर्षण
निज इच्छा का होता दर्पण
दर्पण के भीतर रह -रह कर
सपनो का साया मुस्काया

निर्धन का सुख सपनों में है
ह्रदय का सुख अपनों में है
अपनों से अपनापन पाकर
जीवन का सारा सुख पाया

सपनो का श्रृंगार करे हम
हर सपना घावो मलहम
सपनों का संसार सजाकर ,
यह मन पीड़ा को हर पाया

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

मतदाता जागरुक का कितना कठिन सवाल
नेताजी कर पायेगे पारित जन- लोक पाल
पारित जन लोक पाल नही,फिर क्यो करत धमाल
सी,बी,आई ,लेट करे,जांच और पड़ताल 
अन्ना जी भी छोड रहे अब दिल्ली का छोर
जड़ो  से जुड़ता जनमत है,चले जड़ो  की और 

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

बना समन्दर जल था थोडा


काल का घोडा सरपट दौडा
सुख का दामन हमने छोडा

हर मुश्किल आसान हो गई
जब कर्मो से नाता जोडा
नियति ने की यूँ मनमानी
बना समन्दर जल था थोडा

तिनका तिनका जोड-जोड कर
सुख सपनों का घर है जोडा
नही फलीभूत हुई बेईमानी
दुष्कर्मो पर पडा हथौडा

व्यथा ह्रदय की कैसे बोले  ,
सुनी है जिसने हाथ मरौडा
दुर्जन दल के गठबन्धन थे
सत के पथ पर बन गये रोडा

थी कैसी उनकी नादानी
हुए शर्म से पानी पानी
जान निकल गई दिल है तोडा
दे गये गम थे तन्हा छोडा

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

वह गीत गजल गीतिका बन महफिल सजाती है



मन के भीतर के पटल पर कल्पना उभर आती है
 
भिन्न रूपों में हो बिम्बित कलाये मुस्कराती है
 
 
लिए ह्रदय आनंद कंद मस्ती लुटाती है
 
वह शब्द शिल्प से अलंकृत श्रृंगार पाती है 

 संवेदना का भाव लिए हर पल सताती है
 
वह गीत गजल गीतिका बन महफिल सजाती है

 लेकर गुलाबी सी लहर चहु और छाती है
 
वह स्वयं सिद्दा बन गजल हल चल मचाती है



बुधवार, 7 दिसंबर 2011

तुम्हारे उजले कर्मों से ,खुश भगवान होता है




सजा दे गीत मे क्रन्दन दुखी होकर क्यो रोता है
मिला उसको वही फल है जो जैसा बीज बोता है ||ध्रुव पद ||

पतन की राह पर चलकर ,पतित इन्सान होता है
सही हमराही मिल जाये ,सफर आसान होता है
केवल सपने सजाने से ,नही मंजिल मिला करती
सतत यत्नों के बल पर तो ,तेरा हर काम होता है ||1||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तेरे ईमान डिगने का ,पता सभी को होता है
तुझे मालुम नही बंदे ,तू हर विश्वास खोता है
कभी सच्चाई की आवाजको ,अपना स्वर दे देना
हमारे सारे कर्मो का ,खूब हिसाब होता है || 2||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
यदि है राह पर कांटे,तो आँखे क्यो भिंगोता है
बना दे जिन्दगी सरगम ,जग खुशियों का ढोता है
पराई पीर मे अपनी पीर की तलाश कर लेना
पराई पीर के भीतर अजीब अहसास होता है || 3||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शिथिल कर माया के बंधन ,समय प्यारा क्यो खोता है
लगा ले चिन्तन का मधुबन ,मधु मय छन्द होता है
किसी गमगीन चेहरे को ,मधुर मुस्कान दे देना
मधुर मुस्कान है वरदान ,खुश भगवान होता है || 4||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,









गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

शब्दकोष के बल पर केवल काव्य नही रच पाता है




व्याभिचार मे जीने वाले को अंधियारा भाता है
सदाचार से रहने वाला गीत रवि के गाता है

प्रियतम का उत्कट अभिलाषी प्रभु प्रीति तक जााता है
साॅसों के स्पंदन जैसा प्रिय का प्रिय से नाता है

शब्दकोष के बल पर केवल काव्य नही रच पाता है
संवेदना से रिक्त ह्दय मे रहा सदा ही सन्नाटा है

पुण्य ,ज्ञान ,पुरुषार्थ यहाँ पर व्यर्थ कभी नही जाता है
दुष्कर्मों के दम पर कोई व्यक्ति नही सुख पाता है

स्वाभिमान पर रहने वाला कठिन राह चल पाता है
तिनका -तिनका जोड़कर -जोड़कर ,स्वर्ग धरा पर लाता है

दुष्ट ,दम्भी ,मिथ्याभिमानी ,जो छल छद्म रचवाता है
नीच कर्म से लज्जित होकर ,आँख मिला नहीं पाता है

कला विहीन जीवन क्यो? जिए काव्य ह्रदय से अाता है
कलाकार संगीत कला का गीत गजल से नाता है 
 















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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज