गुनाह सदा अंधेरो को ढूढते है
ख्वाब अधुरे हम उन्हे बुनते है
ख्वाब अधुरे हम उन्हे बुनते है
काली घटाए छा गई गगन पर
बारिश के बादल जोरो झूमते है
बारिश के बादल जोरो झूमते है
नीव के पत्थर थे नीव में रहे
कंगूरे इमारतों के नभ को चूमते है
कंगूरे इमारतों के नभ को चूमते है
ख्वाईशे दिल की लौटा दे कोई
अरमान उनके सपनो में घुमते है
अरमान उनके सपनो में घुमते है
हो गई जीवन में दुश्वारिया बहुत
रही चुनौतिया तो मंजिले चुनते है
आजादी सदा अनमोल होती है
स्वातंत्र्य के नवीन मन्त्र को सुनते है
रही चुनौतिया तो मंजिले चुनते है
आजादी सदा अनमोल होती है
स्वातंत्र्य के नवीन मन्त्र को सुनते है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें