मंगलवार, 15 जनवरी 2019

खुशियो की शहनाईयां

गहरी गहरी खाईया 
 झीलों की गहराइयां 
  नभ से निकली उतर रही
  कैसी है परछाईया

सुंदरता आनंद
  उड़ती हुई पतंग 
  सबने बाँची नभ में नाची
ठहरी कही  उमंग  
बच्चो  की होती किलकारी
खुशियो की शहनाईयां

कब तक होगी भ्रान्ति  
जीवन हो संक्रांति  
मिल मिल कर के बिछुड़ रही  
जीवन से सुख शांति
  अपनापन था गुजर गया 
  न होगी भरपाईया

कहा गए वो छंद 
जीवन का  मकरन्द 
महकी महकी गंध 
सुरभित से सम्बन्ध 
थर थर काया काँप रही 
खोई कही रजाईयां

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

हो नवीन वर्ष पर सोच नई

जीवन के अनुभव अनुपम हो चरणों की रज में चंदन हो
हो नवीन वर्ष भी प्रीत भरा प्यारा सा तुमको वंदन हो
 अविचलित हो मन  भाव भरे प्रतिपग पथ पर हो फूल धरे
रूप हर्षित हो और आकर्षण जीवन खुशिया का नंदन हो 

नित नित लगते हो नव मैले जीवन के नभ पर खग खेले
सिंचित होती हो पौध नई कुदरत से मस्ती हम ले ले
हो नवीन वर्ष पर सोच नई अनुभूति पीड़ा गई गई
तृप्ति भी हर मन को छू ले जो गमगीन थे पल वे भूले

मूक रही वेदना कुछ बोले शोषित भी अपना मुख खोले
जीवन मे हो कुछ आकर्षण शब्दो को हरदम हम तोले
रहती मन में करुणा समता हो नवल वर्ष में पावनता
नित मानवता के हम सींचे बीज अंकुरित हो फुले फले


न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज