रविवार, 29 मार्च 2020

देवी का आव्हान

कोरोना जब साथ रहे , हो जाओ कोरोताईंन
सुरक्षा उपचार रही सेनेटाइजर फाईन
सेनेटाइजर फाईन रही संचित शुचित ज्ञान
एकांतिक रही साधना कर ले जप तप ध्यान
कवि विवेक भी सोच रहा है कैसा है विज्ञान
कोरोना को बांध रहा , देवी का आव्हान

बुधवार, 25 मार्च 2020

मचा है हाहाकार

सस्ता चीनी माल मिला, कोरोना भी साथ
मर मर करके  लौट रहे , लाशो की बारात
लाशो की बारात मिली, हुआ देश कुर्बान
अपने घर मे बने रहो इस युग का आव्हान
कवि विवेक देख रहा है रहा न शाकाहार
अब कुदरत की मार पड़ी मचा है हाहाकार

कोरोना पर दोहे

भीड़ में सबको निगल गया ,कोरोना का दंश 
घर मे बस तुम बने रहो , बच जायेगा वंश 

जनता का कर्फ्यू रहा ,हो जाओ अब शांत
जितने भी थे निपट गये ,पाया है एकांत

अब तक जो भी डरे नही , पहुच गये वे जेल
मल मल करके हाथ धुले ,निकल गया है तेल

जब भी मुश्किल दौर पड़ा ,पहुच गए वो चीन
कोरोना से भाग खड़े , होकर दीन और हीन

जिसका किस पर असर नही कैसा है ये दौर
अमेरिका भी हार गया ,भारत है सिरमौर

 यम नियम से मंत्र जपो नव दुर्गा के साथ
कट जायेगे कष्ट सभी , कोरोना की घात

मंगलवार, 17 मार्च 2020

कोरोना

विश्व कोरोना से लड़ाई  लड़ने का 
दम्भ भर रहा है 
दवाई की कंपनीयो  मुनाफा बढ़ रहा है
 बाकी सभी का शेयर सूचकांक  घट रहा है 
कोरोना का रोना अब सरकारे मीडिया 
और इंश्योरेंस कंपनिया रो रही है 
सेनेटाइजर उत्पादक की हो गई पौ बारह 
नई नई प्रयोगशालाएं खुल रही है
विमानन कंपनियों की हालत 
जो पहले से बिगड़ी हुई है 
अब तो तीर्थो में भी रही न भीड़ 
सिर्फ कोरोना की ही चर्चा  
चेनलो पर छिड़ी हुई है 
बाजार माल और सड़कों का भी हाल 
नही किसी से छुपा  है ।
चीन से आयातित माल का 
स्टॉक भी रुका  है 
बीमारी कोई भी ईलाज नही होने पर 
इंसान की मृत्यु तो होनी ही है
पर कोरोना संक्रमित व्यक्ति  की कलाई 
किसी भी हालात में नही छूनी है 
विदेश जाने का मोह भी अब नही रहा है 
अपने ही गांव में रहो ,मिली साफ हवा 
खेतो में शुध्द जल बहा है 
कोरोना रोगी की पीड़ा 
अब  सही नही जाती है
अकेले ही पड़े रहो ,पड़े पड़े सड़े रहो 
 अब तो आइसोलेशन वार्ड ही साथी है

रविवार, 15 मार्च 2020

कोरोना वायरस

विश्व कोरोना वायरस के कारण
 शाकाहार की और बढ़ रहा है 
नमस्ते और नमस्कार के माध्यम से 
योगासन कर रहा है 
रोगों के संक्रमण का खतरा 
जब देश पर बढ़ने लगा है 
स्वच्छता आदोंलन का  रंग
 अब और भी अधिक चढ़ने लगा है 
अनियंत्रित जीवन शैली और 
अनुचित आहार विहार का ही तो यह परिणाम है 
एड्स स्वाईन फ्लू कोरोना तो हुए
 मुफ्त में बदनाम है 
यम नियम संयम और स्वदेशी उद्यम से 
नही फैलेगा कोई संक्रमण है 
अधिक मात्रा में आयातित  वस्तुओ से होता
 अर्थ व्यवस्था पर अतिक्रमण है 
अच्छा स्वास्थ्य पाने का 
बस एक यही तरीका है 
सीख लो अच्छे खान पान के गुर
 जीने का बस सही एक सलीका है 
अब छोड़ो कोरोना का रोना 
सब कुछ स्वच्छता से ही तो होना है
सम्यक आहार विहार से 
अपने आचरण को भिगोना है 
पवित्रता और दैवीय गुणो के बल पर 
करो आराधना  महकेगा जीवन का हर कोना है

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज