शुक्रवार, 10 मार्च 2023

आये थे मेहमान

दिन  में  ऐसी  नींद  लगी, आये  थे  मेहमान 
जितने भी  थे  ले  उड़े  , लाखों  का  समान 

करवट  लेकर  नहीं  उठा, हुआ  भले  ही  शोर 
चूल्हा  बेलन  चुरा  गये, ले  गये  आटा  चोर

घर  के  आंगन बिछी  मिली, रस्सी  की  एक  खांट
 अम्मा  जी  तो  चली  गई , बाबू जी  के ठाट

बरसों  से जो उठा  रहा,  निकम्म्मो का  बोझ
जिनका कुछ सम्मान नहीं , करते  है वो मौज 


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज