सोमवार, 25 जुलाई 2011

बाबा की हुंकार

घौटालो के देश में, एक घौटाला और
खेलो के आयोजन को, तू इसी कड़ी में जोड़
तू इसी कड़ी में जोड़ रे ,जी -स्पेक्ट्रम अनमोल
सरकार बचाने में ,खुल गई है पोल
अन्ना का आव्हान है, हो भ्रष्ट व्यवस्था नष्ट
जोकपाल न बन जाए ,हो लोकपाल स्पष्ट ||1||

कलमाड़ी सुरेश हुए ,डी.राजा के संग
अब तिहाड़ की जेल में ,होगी खूब सत्संग
होगी खूब सत्संग रे, ठग नटवर के साथ
ठग बाजी के खेल में ,सध जायेगे हाथ
कालाधन लाने के लिए ,बाबा की हुंकार
मारीशस के रूट कैसे ,आया धन अपार ||2||

रविवार, 24 जुलाई 2011

निरुपाय फिर आज खड़ा है

जीवन के संग्राम में मिला असमय शोक
नियति के संत्रास को रोक सके तो रोक
रोक सके तो रोक रे दर्प दंभ और स्वार्थ
निरुपाय फिर आज खड़ा है सत्य धर्म पुरुषार्थ
कहत विवेक सुनो भई सज्जन सत्य हुआ है पस्त
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह में हुए सत्कर्मी है त्रस्त

kavivar

ज्ञान सूर्य का हुआ उदय तो सुधरा कल और आज
कुरीतिया मिट गई विकसित हुआ समाज
अशिक्षा के अंधकार में अत्याचारी करते राज
साक्षरता के ज्ञान से सुधर गए सब काज
जुड़ा हुआ मालव माटी से सुनहरा इतिहास
मूरख से विद्वान् बने थे कविवर कालिदास

सोमवार, 18 जुलाई 2011

अब संयम टुटा जाता है

दुष्कर्मो का पाप कुम्भ जब पूरा भरने को आता है
दैत्य शक्ति के दर्प दमन को महाकाल फिर आता है

घाटी में आतंकी बनकर उग्रवाद ने रक्त पिया
कश्मीरी माता बहनों की शर्म लुटी विधवा किया
क्रूर पिशाची उग्रवाद फिर नग्न नृत्य दिखलाता है

भारत माता के बेटे हम कृष्ण बुद्ध के अनुयायी
बामियान की बुद्ध प्रतिमा क्यों थी ?किसने गिरवाई
प्रतिमा से अभिशापित होकर तालिबान मिटा जाता है

छोटे मोटे देशो को भी हमने जीवन दान दिया
बंग देश के हाथो फिर भी अपमानो का जहर पिया
आध्यशक्ति भारत माता का अब संयम टूटा जाता है

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

अब संयम टूटा जाता है

दुष्कर्मो का पाप कुम्भ जब पूरा भरने को आता है
दैत्य शक्ति के दर्प दमन को महाकाल फिर आता है

घाटी में आतंकी बनकर उग्रवाद ने रक्त पिया
कश्मीरी माता बहनों की शर्म लुटी विधवा किया
क्रूर पिशाची उग्रवाद फिर नग्न नृत्य दिखलाता है

भारत माता के बेटे हम कृष्ण बुद्ध के अनुयायी
बामियान की बुद्ध प्रतिमा क्यों थी ?किसने गिरवाई
प्रतिमा से अभिशापित होकर तालिबान मिटा जाता है

छोटे मोटे देशो को भी हमने जीवन दान दिया
बंग देश के हाथो फिर भी अपमानो का जहर पिया
आध्यशक्ति भारत माता का अब संयम टूटा जाता है

रविवार, 3 जुलाई 2011

हरी मिर्च: संगत राशि

हरी मिर्च: संगत राशि: "पक्का नहीं कहता कि सब, सांसत से लड़ लड़ता हूँ मैं हम कदम इक दम मिला, दुइ पाँव चल चलता हूँ मैं उजड़ें दीवारें खँडहर, छातें हों ..."

muktak

पगडण्डी जो चमन करेगा पथिक वही कहलायेगा
अंधियारे का भाग्य बदल दे दीप वही बन जाएगा
जो महलों का मोह छोड़कर गीत कुटी के गायेगा
भावो का सहगामी बनकर गीतकार कहलायेगा||1||

दें दुखियो का दर्द हरेगा सच्चे ईश को पायेगा
मात्र भूमि के चरणों में ही अपना जीवन चढ़ाएगा
किया नहीं प्राणों का अर्पण करे समर्पित जो जीवन
देशप्रेमी और कर्मयोगी वह कालपुरुष बन जाएगा ||2||

परमाणु विस्फोट करेगा महाशक्ति बन जाएगा
अमेरिकी प्रतिबंधो को क्या सहन कर पायेगा
पाक चीन को भारत क्या एक साथ निबटाएगा
स्वदेशी का चक्र सुदर्शन दुशमन से टकराएगा ||3||

राष्ट्रीयता का भाव जगा कर दिल्ली तक जो जाएगा
देशभक्ति का मंत्र पाठ कर एटमबम बनवाएगा
ममता समता जय अम्मा को येन कें पटायेगा
अटल बिहारी पाँच साल तक पी. एम् .फिर रह पायेगा||4||

अहिंसा का पाठ करेगा हिंसा को फैलाएगा
स्वांग रचा कर सज्जनता का गुंडों से पिटवाएगा
वह जनता को मुर्ख बनाकर ख़ुशी ख़ुशी जित जाएगा
वह पार्टी में फुट दल कर मिनिस्टर बन जाएगा ||5||

अफसर को जो खुश करेगा ठेका वो ले जाएगा
गुणवत्ता में उलट फेर कर कमीशन दे जाएगा
जनता के ही हाथ जोड़ कर राजनीती में आयेगा
चाटुकारिता के दम पर ही नेताजी बन जाएगा ||6||

जो हुए थे सिर्फ कर्म से महान

यहाँ वहा इधर उधर जाते है जिधर
सुनाई देता है बस एक यही स्वर !
कौनसी जाति कुल गौत्र के हो बंधुवर ?
सुनते ही मन की सारी उमंगें तरंगे
जाने कहा खो गई
निर्जीव सी हो गई तन की चेतना
कुछेक पलो के लिए
टूटी जब तंद्रा तो चिंतन के द्वार पर खड़े थे
वे सारी विभूतिया जो हुए थे सिर्फ कर्म से महान
और यहाँ कुछ व्यक्तियों को अपने कुल पुरुषो की उपलब्धियों पर है गुमान
भले ही उनके द्वारा स्थापित आदर्शो का ज़रा भी न भान
फिर भी यदा कदा यत्र तत्र करते रहते है उनका बखान
अरे भाई नव युग ने ली अंगडाई बहुआयामी क्रांति के दौर में कई नवीन धाराए आई
और तुम्हारी बुध्दी से अभी तक यह धुल हट नहीं पाई
यह दुनिया उसकी ही हो पाई जिसने स्वयं श्रम पुरुषार्थ के सहारे अपनी अलग पहचान बनायीं

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

क्षणिकाए क्षणिकाए

क्षणिकाए
(1)
वे भ्रष्टाचार उन्मूलन प्रकोष्ठ के है पदाधिकारी
मिल जायेगी उनके पास
सभी भ्रष्ट अधिकारियो की जानकारी
जिसे दबाने के लिए लेते है वे रिश्वत भारी
(2)
उन्होंने बनाया युवा विचार मंच
युवा और विचारो के सिवाय
मिल जायेगे सब प्रपंच
(3)
हाथ से निकले हुए
धन के सूत्र है
इसलिए वे माता
सरस्वती के पुत्र है

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज