बुधवार, 30 दिसंबर 2015

जीवन के सरोकार


प्यार में कोई शर्त नहीं होती
आस्था और विश्वास में कोई संशय नहीं होता
ममता करुणा और स्नेह की कोई सीमा नहीं होती
क्षमताये जाग्रत हो जाए तो असीम है
अहंकार के कई रूप है प्रकार है
अहंकार में समाहित रहे समस्त विकार है
अमर ,शाश्वत सनातन रहे विशुध्द विचार है
वैचारिक विरासत सबसे उत्तम है
भौतिक विरासत में पलते कई गम है
संस्कारो की विरासत को जिसने पाया है
जीवन में रही अक्षय ऊर्जा रही कीर्ति की छाया है

युध्द रत हर घाव है

रक्त से लथ पथ हथेली ,पथ फिसलते पाँव है 
श्रम सीकर से है सिंचित ,लक्ष्य की यह छाँव है 

पंथ पर न चिन्ह अंकित, चहुओर बिखरी रेत  है 
नभ पर चिल गिध्द उमड़े, क्षितिज होता श्वेत है 
प्यारा सा बचपन बचा लो ,युध्द रत हर घाव है 

नियति क्यों होती है निर्मम खेलती रही खेल है 
निज रक्त भी होता पिपासु ,परजीवी विष बेल है 
कष्ट में रहता कौशल्य ,अकुशल के भाव है

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज