सोमवार, 29 मार्च 2021

रंगविहीन हो देह

होली हर दिन साथ रहे ,साथ रहे हर रंग
धुलेंडी चहु और रहे, प्रतिपल हो हुडदंग

जीवन उसका सुखी रहे,जिसके मन आल्हाद
होलिका के साथ जले, चिन्ता और अवसाद

जो भीतर से भींग गया,मिला उसे है स्नेह
मन के जितने रंग रहे, रंग विहीन हो देह

वे तो मुम्बई चले गये ,चले गये रंगून
रंगों से बाज़ार सजा, पूज रहे अवगुण

होलिका की और खड़ा कैसा जन सैलाब
आत्मीयता का बोध नही केवल धन का लाभ

शनिवार, 27 मार्च 2021

लिपटत तन पर धूल

जब मस्तक पर मला यहां लाल लाल गुलाल
भीतर भीतर लाल हुआ ,बाहर से खुशहाल

होले होले प्यार बढ़ा,चढता रहा बुखार
मन से सारा मैल हरे, होली का त्यौहार

डिम डिम करती चली यहां, यारो की है गैर
ढोलक से है ताल मिली, ठुमक रहे है पैर

महुआ ताड़ी भांग धरे ,कितने है मशगूल
होली में न रंग बचा, लिपटत तन पर धूल

बुधवार, 17 मार्च 2021

योगासन कर रहा है

विश्व कोरोना वायरस के कारण 
शाकाहार की और बढ़ रहा है 
नमस्कार और नमस्ते के माध्यम से 
योगासन कर रहा है

विश्व कोरोना से लड़ाई लड़ने का
 दम्भ भर रहा है  
दवाई की कंपनियों के अलावा 
सभी का शेयर सूचकांक थम रहा है

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

जीवन का सौरभ

आज यामिनी निखर रही 
अमृत बरसे नभ
शरद पूर्णिमा में पाया है 
जीवन का सौरभ

ठंडी ठंडी पवन बही 
 ठंडे दिन और रात
खुशबू महके पंछी चहके 
सुरभित पारिजात

बांसुरी की मीठी लहरी, 
कान्हा करे पुकार
हिय में अंतर्नाद रहा 
बजते रहे सितार


गुरुवार, 11 मार्च 2021

बम भोले और शिव

यह जग है जंजाल भरा, फैले इसमें जाल 
जो इसको है समझ गया, रहता वह खुशहाल

तारो से आकाश भरा, जल में कितने जीव
हर कण में है व्याप्त रहे, बम भोले और शिव

शांति में सुख प्यार रहा, सुलह  में श्रीराम
जीवन मे हम भूल गये , शुभ संकल्प तमाम
 

जीवन एक संग्राम रहा, तू है एक शूरवीर
कर्मो की शमशीर चला,खींच दे नया तूणीर



न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज