गुरुवार, 29 अगस्त 2013

गलतिया

जीवन में गलतिया हर व्यक्ति से होती है
परन्तु गलतियों की पुनरावृत्ति बुरी आदतों का कारण होती है
बुरी  आदते व्यक्ति को अपराधी बना देती है
जब लोग गलतियों को बर्दाश्त करते है
 तो व्यक्ति स्वयं को सही मानने का भ्रम पाल लेता है
अपराध की तह तक जाने के लिए
अपराधी की मानसिकता तक जाना होता है
अपराधी के मनो मष्तिष्क के भीतर विचरने वाले विचारों
 षड्यंत्रों को पाना होता है
इसलिए गलतियों को मत दोहराओ
गलतिया करने वालो को
 जहा  भी अवसर मिले गलत जरुर ठहराओ
यह सच है इंसान गलतियों का पुतला है
पर गलतिया करते हुए यहाँ कोई इंसान नहीं निखरा है
गलत स्पष्टि करणों  से झूठा हुआ आदमी 
व्यक्तित्त्व बिखरा है

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

विमल मति

ज्योति रूप परमात्मा, द्वादश ज्योतिर्लिंग
आलोकित अंतर करे ,शिव मंदिर शिव लिंग

परम पिता परमात्मा ,माता पार्वती
महादेव दो वर हमें ,हो निर्मल मन विमल मति

मंगलवार, 6 अगस्त 2013

चिंतामन है शिव

परम धरम अनुराग है ,करम धरम की नींव 
तू क्यों चिन्तारत हुआ ,चिंतामन है शिव 

सावन होता हरा भरा ,हरियाता हर खेत 
नदिया लाई अपने साथ, कितनी सारी रेत 

भाग्य रथी  भागीरथी ,भव के हरते पीर 
जीवन सुखमय कर देता ,मन का निर्मल नीर

राज गए राजा गए ,चले गए सम्राट 
जर्जर  काया होत रही, पकड़ी सबने खाट 

बारिश झर -झर  बरस  रही, सरिता हुई निहाल
तट सेतु अब टूट गये ,मैदानों में ताल  

रविवार, 4 अगस्त 2013

कौन नहीं चाहता

संसार  में कौन नहीं चाहता की उसके शत्रु नहीं हो ?
यह धरा सभी और मित्रो और हितैषियो सी घिरी हुई हो
कौन नहीं चाहता की वह सभी प्रकार की आशंकाओं और भय से मुक्त हो ?
सभी प्रकार से सुरक्षित हो जीवन आनंद और उल्लास से युक्त हो
कौन चाहता वह योध्द्दा अपराजेय हो ?
वैभव और ऐश्वर्य से हो युक्त होती रहे चहु और उसकी जय जय हो
संसार में कौन नहीं चाहता वह गुणवान और विद्वान हो ?
महकती रहे यामिनी बिखरी  तारो सी  मुस्कान हो
कौन चाहता वह सूर्य सा तेजस्वी हो ?
व्यक्तित्व में हो शीतलता व्यक्तित्व ओजस्वी हो
पर इतना सब कुछ  चाहने से क्या होता है
पल्लवित परिवेश में वही  होता है 
 जैसा हमारे कर्म का बीज होता है

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज