मंगलवार, 18 जुलाई 2023

रहा नहीं नज़रो का डर

रिश्तो का  आकाश  रहा  
रिश्तो  का  पाताल 
रिश्तों  से  क्यो  दूर  हुआ 
रिश्तों  की  पड़ताल 

बुजुर्गों की  छांव  नही 
रहा नहीं  नजरों  का  डर 
दिल  के  रिश्ते  कहा  गये
नहीं  रहे  है  अब  वो  घर

रिश्ते  रस  से  रिक्त  हुए 
अब  रिश्तों  में  खोट 
रिश्तों  से  है  घाव मिला 
मिली  चोट  पर  चोट 

मन  के  भीतर  प्रेम  नहीं 
केवल  है  व्यवहार 
अब  निर्मम इस  रोग  का 
नहीं  रहा  उपचार 


न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज