हिमालय की बुलंदी है आसमान की ऊंचाई है
साहस और सामर्थ्य की गहराई तूने पाई है
यथार्थ का सामना है महकी हुई कामना है
नारी ही प्रसूता है ममतामयी दाई है
चेहरा एक प्यारा है बहती हुई धारा है
पत्नी बन नारी ने दुनिया सजाई है
आँखों का सपना है संचित ही रखना है
बाबुल के आगन में बिटिया नई आई है
भ्राता का बल है करुणा निश्छल है
प्यारी सी बहना का छोटा एक भाई है
छाया है माया है अपनापन पाया है
भावो में वत्सलता उसकी कमाई है
दोस्ती है वादा है प्रियतम में राधा है
मीरा की भक्ति भी कितनी सुखदायी है
किरणों का ओज है बेटी नहीं बोझ है
आशाए संजोई है अभिलाषाएं पाई है
प्राची की अरुणा है समग्रता संपूर्णा है
दादी और नानी ने जोड़ी पाई पाई है