शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

नवीन वर्ष के हाथ रही

अंधियारा है काँप रहा 
 काँप रही है भोर 
नवीन वर्ष के हाथ रही 
 भावी कल की डोर
सपने हो आकार लिए
 अर्जुन या एकलव्य
उजियारा चहु और रहे 
 सबके सपने भव्य
अन्तर में है आग लगी 
बाहर भी है शोर
तृप्ति का है मार्ग सही
 तृष्णा का न जोर
उनका अपना जोर रहा 
 उनकी अपनी चाल 
जैसी जिसकी नियत है  
उसका वैसा हाल
आनंदित आकाश हुआ  
आंनदित उपवन 
आनंदित हो बात करो
हो मौलिक  दर्शन
जीवन है श्मशान नही 
पावन है स्थान 
अपनो को तू गले लगा 
क्यो करता प्रस्थान

सोमवार, 19 जुलाई 2021

ऊँचे ऊँचे लोग

उसके गुण का गान करो , जिसमे हो संस्कार 
कर्मठता का मान करो , कर्मो का सत्कार

जिसमे थी सामर्थ्य नही ,मिली उन्हें है छूट
दानव दल को बाँट रहा, अमृत घट के घूँट

भक्ति का अभिमान रहा , शक्ति से अनजान
क्यो उसका अपमान किया , जिसमे था भगवान

क्यो?इतना पाखण्ड रहा , क्यो इतना है पाप 
तू अपने दुष्कर्मो को , नाप सके तो नाप

राम नाम दिन रात जपा, बना नही है योग
सच के होते साथ नही , ऊँचे ऊँचे लोग




सोमवार, 28 जून 2021

मिले चोर ही चोर


धन से कोई धनी हुुुआ, बल से है बलवान
तू अपने सत्कर्मो से , खुद को बना महान

धन नही सुखी हुआ, दुख सुविधा के संग 
दुविधा में भी सुखी रहे , उसके संग उमंग

जब भी उनके होठ रही , प्यारी सी मुस्कान 
प्यारी प्यारी रही जिंदगी, हर मुश्किल आसान

जीना तो मुश्किल हुआ, मरना है आसान
जी जी करके रोज मरा , दुनिया मे इन्सान

अपनो से वे छले गये, मिले चोर ही चोर
आँसू थे जो सूख गये, ऐसा कैसा दौर

उनकी अपनी सोच रही , उनके रहे विचार 
तू ही अपना भाग्य बना, कर सपने साकार

रविवार, 27 जून 2021

सीख की बाते कौन सुने

सुबह में है ओंस रही , सायं बही बयार 
बारिश में कई गाँव बहे , डूब गये घर बार

अपने  अपने शौक रहे, अपनी रही पसन्द
सीख की बाते कौन सुने, मन की खिड़की बन्द

मन से खूब धनवान रहे, तन पे है पैबन्द
ऐसे भी कुछ लोग मिले, जो है नेक पसन्द

केवल पद का भान रहा, हुआ समय का फेर
जिनको मद अभिमान रहा, हो गये पल में ढेर

जितना मन पर भार रहा ,उतना रहा उधार
जीवन का है मूल्य बड़ा, निज का करो सुधार

जिसका प्रत्येक कर्म रहा, प्रतिफल को उत्सुक
उसको मालूम धर्म नहीं , बस कीर्ति की भूख


शुक्रवार, 25 जून 2021

यादो में बचपन

यादो में आंखों के आँसू , यादे है बादल 
यादे होती मित्र सहेली, यादे से पागल

यादो में है एक खिलौना  यादो में है खेल
दिखती सुन्दर नई हवेली, आँगन में थी बेल

यादे होती एक बिछौना खोया एक रुमाल
जितनी सुन्दर याद रही , उतने बीते साल 

यादो में पीर पराई , पर पीड़ा पहचान
जितना जीवन जी पाया , उतनी रख मुस्कान

जितने सुन्दर बोल रहे ,उतनी सुन्दर याद 
खुद के अन्दर झांको तो , होगा न बरबाद

यादो में है एक कहानी , यादो में बचपन
यादो में है शौख जवानी , यादो में पचपन

यादे होती एक पहेली , यादो से सूझ बूझ 
जब तक दिल मे याद रही , होती है महफूज

जब तक दिल मे याद रही ,तब तक है सम्वाद
उनको जब कुछ याद नही, रिश्ते है बरबाद

यादो को वो भूल रहे, भूल रहे इतिहास
यादो में जब दिखी रोशनी , हुआ पुष्ट विश्वास




रोगों की विष बैल

योगी से है  दूर रहे , पित्त वात कफ दोष
अंतर्मन से सुखी रहे, रखता जो संतोष

जीवन कोई खेल नही, क्यो होता है फेल
दुष्कर्मो से ऊँगी यहाँ, रोगों की विष बैल

योगासन से प्रीत लगा, प्राणों का आयाम 
प्राणों को जो भेद रहा, वह जाता शिवधाम

धरती अम्बर बोल रहे , सूरज का शासन 
सूरज को प्रणाम करो , कर लो शीर्षासन

धन वैभव तो चले गये ,रहा है केवल दुख
यम नियम से यही मिला, है जितना भी सुख

शुक्रवार, 18 जून 2021

अंधी धन की भूख


अंधियारी इक रात हुई अंधियारे में बात
अंधियारे में हुई साधना,अँधियारा सौगात

अंधी बहरी हुई वेदना, अन्धा  बहरा युग
अंधी होती रही कामना , अंधी धन की भूख

अंधी होती रही आस्था, आस्था का सम्बल
सीधा सच्चा चलो रास्ता , फैले है दल दल

अंधो की न हुई शाम है , हुये दिन न रात
अन्धो का है यही ठिकाना, अन्धो के दिन सात

अंधो की है रही वेदना,, कर लो तुम अहसास
भीतर उनके रही चेतना, अनुभव मोती पास 

अंधे बहरे मौन रहे , सम्वेदना से शून्य
सम्बन्धो से रिक्त हुए , ऐसे कैसे पुण्य


शुक्रवार, 11 जून 2021

झुका नही यह सिर

प्रतिपल होते मस्त रहे ,भरते रहे उड़ान 
वो सुविधा के संग रहे , मेरे संग मुस्कान

उनका प्यारा कोई रहा ,मुझको सबसे प्यार 
जीवन में  न कोई सगा, जाना है उस पार

एक अकेला मौन रहा ,रहा भीड़ में शोर 
जो न भीड़ का भाग रहा ,वह होता कुछ और

दूजे को तो दोष दिया ,लिया स्वयं ने श्रेय 
उसका होता कोई नही ,मिला नही है ध्येय 

चंचल नदिया नीर रहा,रहा अडिग है गिर 
जीवन मे तू आग लगा ,झुका नही यह सिर




बुधवार, 9 जून 2021

चहकी न कोयल

जीवन मे मकरन्द नही 
कहा गये वो शौक
सृजन से तू स्वर्ग बना 
कोरोना को रोक
 चिड़िया रानी लुप्त हुई 
चहकी न कोयल
फल के मिलते पेड़ नही 
फूटी नही कोपल
उड़ते खग नभ संग रहे 
करते रहे विचार 
नभ तक क्यो विस्तीर्ण हुए
ये बिजली के तार


मंगलवार, 8 जून 2021

निर्मल मन का तीर

रमता जोगी कहा चला, कहा चला है नीर
निर्मलता अनमोल रही ,निर्मल मन का तीर

जीवन भर विषपान किया, रहा कर्म में लीन
उसका मत अपमान करो , बंधुवर दीन हीन 

जो व्यक्ति है धैर्यविहीन , उसका शून्य वितान 
संकल्पों से धैर्य रहा, श्रम से है उत्थान

जीवन में निर्भयता का , सदगुण लेना भर
जिसके मन आतंक नही, होता है निडर

सोमवार, 7 जून 2021

अति में है अवरोह

जीवन भर ही काम किया , अब तो लो विश्राम
विषयो से निर्लिप्त रहो , जाना है प्रभुधाम

करना अतिरेक नही ,अति से है नुकसान
अति ही बंधन बाँध रही , अति है दुख की खान

कर्मो से वह रोज भगा, दिखलाता है पीठ
जिसमे बल सामर्थ्य नही , वह होता है ढीठ

अति अंतर्मन बांध रही ,अंतर्मन में मोह 
अति तो केवल अन्त करे, अति में अवरोह

जिसकी ऊपर डोर


जो जितना ही दूर रहा, वह उतना ही पास
ह्रदय के सामीप्य रहा , सुख दुख का अहसास

बाहर से है सख्त कठोर , भीतर से कमजोर 
उसके भीतर कौन रहा, जिसकी ऊपर डोर

जो व्यक्ति उपकार करे , वह पाता सहयोग 
जो स्वार्थी उपकार विहीन, पाया उसने रोग





शनिवार, 5 जून 2021

हल बक्खर और बैल

महंगी होती कार गई , रहा फ्यूल का खेल
खेतो से विलुप्त हुये , हल बक्खर और बैल

मिलता नही शुध्द दही, नकली मिलते बीज
सस्ती सबकी जान रही, महँगी होती चीज

उनके अपने शौक रहे ,उनका था व्यापार 
महामारी से टूट गया , कितना कारोबार

भूखे नंगे भावविहीन , देखे कुछ इन्सान
बीमारी ने छीन लिये ,जितने थे अरमान

अब तो सबकी पीर हरो, हे!मेरे भगवान
महामारी अब छीन रही , रिश्तों में थी जान

शुक्रवार, 4 जून 2021

गाँवो का क्या हाल?

नयनो से न अश्क बहे ,कैसा है ये दौर
किससे अपना दर्द कहे , चले गये सब छोड़

सीधी सच्ची प्रीत गई , गांवों क्या का हाल
चौराहों पर भीड़ रही ,सूनी है चौपाल

भीतर से क्यो टूट रहा , भीतर है भगवान
खुद ही से तू हार रहा, खुद को कर बलवान

टूटते जुड़ते स्वप्न रहे, उजड़ गये है वंश
महामारी ने रूप धरा , कोरोना का दंश 

भीतर से कमजोर रहा, बाहर से है जोश
जो भीतर से शुध्द रहा , बिल्कुल है निर्दोष

गुरुवार, 3 जून 2021

सज्जित है षड्यंत्र

व्यवहारिक कठिनाइया , हल दोहो के पास 
इनसे समझो जान लो ,भावी कल इतिहास

उनका अपना तंत्र रहा, उनका मारक मंत्र
स्तम्भित पुरुषार्थ रहा, सज्जित है षड्यंत्र

दिन गुजरे और रात गई, बीतता कल इतिहास
कठपुतली की खेल हुई , जीवन की हर श्वास

हृदय अब विदीर्ण हुआ , रहे फेंफड़े हाँफ
बीमारी का पार नही , कोरोना का ग्राफ

शुक्रवार, 14 मई 2021

फिर हो आखातीज

अक्षत धन आरोग्य रहे , प्राणों से भरपूर
नैसर्गिक अनुराग रहे , रोगों से हो दूर

उत्सव सारे छूट गये, टूट गये सब प्रण
लोगो मे सामर्थ्य नही , कोरोना का व्रण

गौरैया भी लुप्त हुई, भटकी दर दर गाय
पंथ हुये है वृक्ष विहीन , प्राण कहा से पाय

कितने ही प्रतिरूप रहे, कोरोना विकराल
प्यारी सी हरियाली को , क्यो न रहा सम्हाल

अक्षय धन आरोग्य रहे, फिर हो आखातीज
प्राणों का आव्हान करे, उम्मीदों के बीज

खोई खोई रही जिंदगी , पाया नही पराग 
भँवरे गुंजन कहा करे,  न उपवन है बाग

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

करो सत्य का शोध

प्रतिपल वो उन्मुक्त रहा, इक सेवक हनुमान
सेवा का है मर्म यही , चाहा न प्रतिदान

सौ योजन वो लाँघ गया, राम नाम का बोध
मारुति हनुमान कहे , करो सत्य का शोध

घर के आँगन बेल रहे पीपल का हो पेड़
बूढा बरगद साथ रहे , रहे खेत पर मेढ़

जहां नही अभिमान रहा, वहां रहे हनुमान
धन सत्ता का दर्प हरे, मेरे यह भगवान

कोरोना है मार रहा , कर दो प्रखर प्रहार 
दो सबको आरोग्य प्रभो, जग के तारण हार

करुणा में है ईश रहा, सेवा में जगदीश
सेवा से क्यो भाग रहा, सेवक है दस दिश



मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

सृष्टि का उदभव

भक्ति का अर्जन करो , शक्ति का संचय
माँ दुर्गा जब साथ रहे, साधक हो निर्भय

सत के पथ पे राम रहे , सत के संग हनुमान
सच को तू न साध सका, सत का व्रत वरदान

गिनते गिनते दिन गये, उड़ी नींद और चैन
माँ होती है पार्वती, माँ होती दिन रैन

वैज्ञानिक सम्वत रहा,आध्यात्मिक अनुभव
चैत्रमास की प्रतिप्रदा, सृष्टि का उदभव

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

दिखती दूर तक रेत

जीता मरता रोज यहां, जीवन उसका ताप
मजदूरों की पीड़ा को , नाप सके तो नाप

उनकी अपनी थी शंकाये, उनके अपने डर
तू अपने हर सपने को , निर्भयता से भर

दिखती दूर तक मरुधरा, दिखती दूर तक रेत
गिरकर उठता रोज यहाँ, टपका जिसका स्वेद

जितने भी थे लौट गये , अपने अपने घर 
सूरज उगता अस्त रहा ,उसका तेज प्रखर


सोमवार, 29 मार्च 2021

रंगविहीन हो देह

होली हर दिन साथ रहे ,साथ रहे हर रंग
धुलेंडी चहु और रहे, प्रतिपल हो हुडदंग

जीवन उसका सुखी रहे,जिसके मन आल्हाद
होलिका के साथ जले, चिन्ता और अवसाद

जो भीतर से भींग गया,मिला उसे है स्नेह
मन के जितने रंग रहे, रंग विहीन हो देह

वे तो मुम्बई चले गये ,चले गये रंगून
रंगों से बाज़ार सजा, पूज रहे अवगुण

होलिका की और खड़ा कैसा जन सैलाब
आत्मीयता का बोध नही केवल धन का लाभ

शनिवार, 27 मार्च 2021

लिपटत तन पर धूल

जब मस्तक पर मला यहां लाल लाल गुलाल
भीतर भीतर लाल हुआ ,बाहर से खुशहाल

होले होले प्यार बढ़ा,चढता रहा बुखार
मन से सारा मैल हरे, होली का त्यौहार

डिम डिम करती चली यहां, यारो की है गैर
ढोलक से है ताल मिली, ठुमक रहे है पैर

महुआ ताड़ी भांग धरे ,कितने है मशगूल
होली में न रंग बचा, लिपटत तन पर धूल

बुधवार, 17 मार्च 2021

योगासन कर रहा है

विश्व कोरोना वायरस के कारण 
शाकाहार की और बढ़ रहा है 
नमस्कार और नमस्ते के माध्यम से 
योगासन कर रहा है

विश्व कोरोना से लड़ाई लड़ने का
 दम्भ भर रहा है  
दवाई की कंपनियों के अलावा 
सभी का शेयर सूचकांक थम रहा है

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

जीवन का सौरभ

आज यामिनी निखर रही 
अमृत बरसे नभ
शरद पूर्णिमा में पाया है 
जीवन का सौरभ

ठंडी ठंडी पवन बही 
 ठंडे दिन और रात
खुशबू महके पंछी चहके 
सुरभित पारिजात

बांसुरी की मीठी लहरी, 
कान्हा करे पुकार
हिय में अंतर्नाद रहा 
बजते रहे सितार


गुरुवार, 11 मार्च 2021

बम भोले और शिव

यह जग है जंजाल भरा, फैले इसमें जाल 
जो इसको है समझ गया, रहता वह खुशहाल

तारो से आकाश भरा, जल में कितने जीव
हर कण में है व्याप्त रहे, बम भोले और शिव

शांति में सुख प्यार रहा, सुलह  में श्रीराम
जीवन मे हम भूल गये , शुभ संकल्प तमाम
 

जीवन एक संग्राम रहा, तू है एक शूरवीर
कर्मो की शमशीर चला,खींच दे नया तूणीर



शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

कट कट करते दाँत

ठण्डी ठण्डी रात हुई , ठण्डे ठण्डे दिन
पँछी कोमल त्रस्त हुए, काटे हर पल गिन

ठण्ड से बूढ़ा काँप रहा, ठण्ड का अन्त बसंत
ठण्ड की ऋतुये शीत रही, शिशिर और बसन्त

ठण्ड गहराई रात हुई, कट कट करते दाँत
चुपके दुबके चलो कही, ठण्डे है फुटपाथ

अब छुट्टी में मौज नही, छुट्टी भी दो तीन
बढ़ती जाती ठण्ड रही , छोटे छोटे दिन

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज