रविवार, 23 अगस्त 2015

राखी में आशा समाई

दर्द के हालात है, या फिर यहाँ कुछ और है 
आचरण छल से भरे है , हर आवरण में चोर है
विशिष्ट न अब  शिष्ट रह गए , विशिष्ट अब निकृष्ट है
शुध्द न पर्यांवरण है, दिखती नहीं कही भोर है 


अश्रु से आँचल भरा है ,आँख रोई है भींगोई
पीड़ा क्रीड़ा कर रही है, ,माँ तो बैठी है रसोई 
भैया भाभी ले गए है ,राजू अम्मा रह गए है 
राखी न आई कही से ,आये न बहना बहनोई 

बहना  हो गई है पराई 
बहना की राखी है आई 
राखी में रहती सुरक्षा 
 राखी में आशा समाई 
 





शनिवार, 22 अगस्त 2015

एक मुलाक़ात बाकी है

छू  लो नभ को सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए
अभी भी बहुत साहस है कुछ  सांस  बाकी है 

पा लो खुशियो को हालात से लड़ते हुए 
संघर्षो का साथ जज्बातों की बरात बाकी है 

जी लो हर पल को उल्लास से बढ़ते  हुए 
जीवन नहीं है नीरस रस भरा मधुमास बाकी है 

बुझा लो प्यास अंजुली भर आचमन से 
बहुत ताजा है पानी पूरी बरसात बाकी है 

बहुत किलकारियाँ भीड़ है चहु शोर है 
मिले ख्वाईश को पंख एक मुलाक़ात बाकी है

गुरुवार, 6 अगस्त 2015

भाव विसर्जन

अंजन ,मंजन, मन का रंजन 
वंदन, चन्दन, भावुक बंधन

नवल ,धवल है साँझ सवेरे 
सपने तेरे ,सपने मेरे 
स्वप्न प्रदर्शन ,चित का रंजन

अर्पण ,तर्पण, व्याकुल दर्पण 
लगी प्यासी है ,भाव समर्पण 
दया भाव हो ,नहीं हो क्रंदन 

सर्जन, अर्जन, भाव विसर्जन 
मिली सांस , पाया बल वर्धन 
गजल गीत का, हो अभिनंदन 

छाया माया ,कुछ भी न पाया 
शिल्प कला से ,मन भर आया
कला कर्म का ,महिमा मंडन

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज