मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

करो सत्य का शोध

प्रतिपल वो उन्मुक्त रहा, इक सेवक हनुमान
सेवा का है मर्म यही , चाहा न प्रतिदान

सौ योजन वो लाँघ गया, राम नाम का बोध
मारुति हनुमान कहे , करो सत्य का शोध

घर के आँगन बेल रहे पीपल का हो पेड़
बूढा बरगद साथ रहे , रहे खेत पर मेढ़

जहां नही अभिमान रहा, वहां रहे हनुमान
धन सत्ता का दर्प हरे, मेरे यह भगवान

कोरोना है मार रहा , कर दो प्रखर प्रहार 
दो सबको आरोग्य प्रभो, जग के तारण हार

करुणा में है ईश रहा, सेवा में जगदीश
सेवा से क्यो भाग रहा, सेवक है दस दिश



मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

सृष्टि का उदभव

भक्ति का अर्जन करो , शक्ति का संचय
माँ दुर्गा जब साथ रहे, साधक हो निर्भय

सत के पथ पे राम रहे , सत के संग हनुमान
सच को तू न साध सका, सत का व्रत वरदान

गिनते गिनते दिन गये, उड़ी नींद और चैन
माँ होती है पार्वती, माँ होती दिन रैन

वैज्ञानिक सम्वत रहा,आध्यात्मिक अनुभव
चैत्रमास की प्रतिप्रदा, सृष्टि का उदभव

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

दिखती दूर तक रेत

जीता मरता रोज यहां, जीवन उसका ताप
मजदूरों की पीड़ा को , नाप सके तो नाप

उनकी अपनी थी शंकाये, उनके अपने डर
तू अपने हर सपने को , निर्भयता से भर

दिखती दूर तक मरुधरा, दिखती दूर तक रेत
गिरकर उठता रोज यहाँ, टपका जिसका स्वेद

जितने भी थे लौट गये , अपने अपने घर 
सूरज उगता अस्त रहा ,उसका तेज प्रखर


न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज