लज्जा का आभूषण
करुणा के बीज
कौशल्या सी नारी
तिथियों मे तीज
ह्रदय मे वत्सलता
गुणीयों का रत्न
नियति भी लिखती है
न बिकती हर चीज
देखते हम ध्रुव तारा ब्रह्म है पर लोक प्यारा
ज्योतिष में विज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है
देश अब आगे बढ़ा है चेतना के नभ चढ़ा है
चल पड़े अरमान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है
मेघ तक मेघा पुरस्कृत अब हुई हिंसा तिरस्कृत
अब लौटता विहान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है
हर दिशा और हर पटल पर स्वदेश का अभिमान है
अब चंद्र पर प्रज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है
ईश से अब इसरो है वेद और विज्ञान है
अब चंद्र पर प्रज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है
गर्व से मस्तक उठा है अहंकारी अब झुका है
हुआ सन्न पाकिस्तान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज