शनिवार, 6 अप्रैल 2019

भक्ति से उध्दार

जीवन नही कर्म बिना, कर्म शून्यता मौत
त्रिशक्ति जब साथ रहे ,जलती जीवन ज्योत

खुद से भीतर बात करो ,आत्मिक हो संवाद
जप तप से मिट जायेगे ,कैसे भी अवसाद

क्रिया शीलता सदा रही ,जीवन का आधार
शक्ति भक्ति से मिले, चेतन  का संचार

मिली चेतना जीव हिला ,चला गया उस छोर
चंचल नदिया और झरनों में ,शक्ति का है जोर

भीतर जलती ज्योत रही  ऊर्जा सूर्य समान
भक्ति से तो भाग्य जगे , भक्ति भाव प्रधान

गुड़ी पड़वा से शुरू हुआ ,माता का उत्सव
माता दुर्गा नाच रही ,नाच रहे भैरव

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज