शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

तू कल को है सीच



जब ज्योति से ज्योत जली
जगता है विश्वास
जीवन में कोई सोच नहीं
वह  करता उपहास

होता है  जो मूढ़ मति 
जाने क्या कर्तव्य
जिसका होता ध्येय नहीं
उसका न गंतव्य

गुजरा पल तो बीत गया
तू कल को है सीच
इस पल में जब ज्योत जली
रोशन है हर चीज

तू कल को है सीच

जब ज्योति से ज्योत जली जगता है विश्वास जीवन में कोई सोच नहीं वह  करता उपहास होता है  जो मूढ़ मति  जाने क्या कर्तव्य जिसका होता ध्येय नहीं उस...