परिभाषाएं गौण हुई
मुख्य हुए अपवाद
जीवन में अब रहा नहीं है
जिव्हा का वह स्वाद
किंतु यंतु हुए प्रभावी
जंतु का उन्माद
ऐसे बिगड़े चाल चलन है
पल पल रहे विवाद
जीवन में अब कौन कहेगा
कर लो तुम संवाद
कही पे खोया अपनापन है
नहीं मिली कही दाद
आंख भिगोई ममता रोई
समझे न जज्बात
बेटी तो अच्छी है निकली
बेटे दे आघात
समय के साथ सब कुछ बदल जाता है
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