Srijan
शनिवार, 9 अगस्त 2025
आई याद मां की
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आई याद मां की
सखिया करती हास ठिठौली
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
जीवित जो आदर्श रखे
सम्वेदना का भाव भरा खरा रहा इन्सान जीवित जो आदर्श रखे पूरे हो अरमान जो पीकर मदमस्त हुआ हुआ व्यर्थ बदनाम बाधाएँ हर और खड़ी...
नव जीवन है प्राण
अब रिश्तों में जान नहीं रहा नहीं है स्नेह सम्वेदना से शून्य हुए गहरे है संदेह जीवन से अब चला गया कुदरत से अनुराग संबंधो की शाख ...