सम्वेदना का भाव भरा
खरा रहा इन्सान
जीवित जो आदर्श रखे
पूरे हो अरमान
जो पीकर मदमस्त हुआ
हुआ व्यर्थ बदनाम
बाधाएँ हर और खड़ी
जीवन मे अपमान
टपका जिसका स्वेद नहीं
उसका न संसार
जीवन हैं कोई रेत नहीं
जीवन का कुछ सार
खुली नहीं खिड़की दरवाजे बन्द है जीवन में बाधाएं किसको पसन्द है कालिख पुते चेहरे हुए अब गहरे है गद्य हुए मुखरित छंदों पर प्रतिबंध है मिली...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद महोदय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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