मंगलवार, 2 अगस्त 2011

मिलेगे मीठे फल

सूरज सागर धरा पवन ,जीवन के है मूल
चारो की करो साधना ,आचरण अनुकूल
सत्य शपथ इस पर्व पर ,लेना होगी आज
स्वच्छ धरा विशुद्द पवन से , कल न हो मोहताज
धन ही न संचित करो ,करो रखो सुरक्षित जल
नैस्रागिक अनुराग से, मिलेगे मीठे फल

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज