जीवन नही कर्म बिना, कर्म शून्यता मौत
त्रिशक्ति जब साथ रहे ,जलती जीवन ज्योत
खुद से भीतर बात करो ,आत्मिक हो संवाद
जप तप से मिट जायेगे ,कैसे भी अवसाद
क्रिया शीलता सदा रही ,जीवन का आधार
शक्ति भक्ति से मिले, चेतन का संचार
मिली चेतना जीव हिला ,चला गया उस छोर
चंचल नदिया और झरनों में ,शक्ति का है जोर
भीतर जलती ज्योत रही ऊर्जा सूर्य समान
भक्ति से तो भाग्य जगे , भक्ति भाव प्रधान
गुड़ी पड़वा से शुरू हुआ ,माता का उत्सव
माता दुर्गा नाच रही ,नाच रहे भैरव
ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को नव संवत्सर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा व चैत्र नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/04/2019 की बुलेटिन, " नव संवत्सर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा व चैत्र नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएँ “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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जवाब देंहटाएंभक्तिभाव से ओतप्रोत सुंदर रचना ! जय माँ दुर्गा !
जवाब देंहटाएंआवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html
बहुत ही खुबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिखा है.
Raksha Bandhan Shayari