शुक्रवार, 16 मार्च 2012

माता की दुलारिया

कैसे बनी साधारण से असाधारण  नारिया
पल्लवित हुई  उद्यान में  फूलो की क्यारिया 

 चारित्रिक संस्कारों से वे  थी भरपूर
सभी कलाओं में प्रवीण ,बांधे पाँव में नुपुर
चढ़ी हिमालय चोटी झेली कई दुश्वारिया

अन्तरिक्ष की  वो थी कल्पना दे गई वेदना
बहन सुनीता विलियम ने हमें दी संवेदना
ज्ञान विज्ञान से चहकी माता की दुलारिया

ओद्यौगिक क्रांति में है ,जिनका अहम योगदान 
भारतीय  मूल्यों का रखा सदा उन्होंने ध्यान 
उठा ली परिवार के साथ देश की जिम्मेदारिया

 सेवा समर्पण की है जिनकी ,अनुपम कहानी 
कभी माँ बहन ,तो कभी बनी डॉक्टर नर्स रानी 
दिवाली की है उजास ,रंग पंचमी की पिचकारिया

1 टिप्पणी:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज