आकाश
सा आँचल हो सागर सा जल हो
ममता
हो,
विश्वास
हो,
स्नेहिल
पल हो
निष्ठाए
हो फौलादी आत्मा में बल हो
मानवीय
आचरण सरल हो निश्छल हो
अपमानो
का हलाहल पीकर जो जीते है
लिए
दर्द जिगर में जख्मो को सीते
है
कभी
होते गिरधर कभी शिव के रूप
जो
सुखो में रहते है वे भीतर से
रीते है
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