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ईश्वर वह ओंकार
जिसने तिरस्कार सहा किया है विष का पान जीवन के कई अर्थ बुने उसका हो सम्मान कुदरत में है भेद नहीं कुदरत में न छेद कुदरत देती रोज दया कुदर...
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जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
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जीवन में खुश रहना रखना मुस्कान सच मुच में कर्मों से होतीं की पहचान हृदय में रख लेना करुणा और पीर करुणा में मानवता होते भग...
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सम्वेदना का भाव भरा खरा रहा इन्सान जीवित जो आदर्श रखे पूरे हो अरमान जो पीकर मदमस्त हुआ हुआ व्यर्थ बदनाम बाधाएँ हर और खड़ी...
वाह बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआज के हालात पे सटीक टीका है ये रहना ...
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब ...
निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/
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