रविवार, 5 अगस्त 2018

पथिक रहा अजेय है

लहर लहर संवारता हिलोर पे है वारता

चैतन्यता सदैव है चैतन्यता सदैव है

 

 दया निधि पयोनिधि रत्नभरा अतुल निधि

दिखा समुद्र देव है दिखा समुद्र देव है

 

 रहा समुद्र देवता वारि बादल से भेजता

नैया को माँझी खेवता पथिक रहा अजेय है

 

 बने नवीन द्वीप है मोती बने है सीप है

अमरता का संचरण विविध बनाता जैव है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज