मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

परिभाषा अभिनव


उलझा उनका आज रहा 
उलझा उनका कल
मिले जुले जब साथ चले
मिल जाते सब हल

सबके अपने भाव रहे 
 सबका अपना भव
सबके अपने अर्थ रहे 
 परिभाषा अभिनव

अपनो से वे दूर रहे
 गैरो से वे पास 
गैरो से भी नही मिला 
किंचित भी विश्वास

मंजिल उसको नहीं मिली ,
जो चलता अनुकूल
चलता नाविक जीत रहा 
धारा के प्रतिकूल

रावण में न धैर्य रहा 
धीरज धरते राम
धीरज जिसने पाया है 
बन जाते सब काम




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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज