रूप को देखे ब्याह करे, वह गुणहीन इन्सान
चंदा जैसा रूप दिखा, दिखा नहीं चरित्र
सीधा सच्चा मूर्ख नहीं होता अच्छा मित्र
जो जितना ही प्रिय रहा, उससे उतना मोह
रब से सच्ची प्रीत लगा, मिलेगी उसकी टोह
जीवन मे आरोग्य नहीं, लगे रोग पर
रोग
धन माया न साथ रही, तन मन करो निरोग
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