गीतों की धारा ने है
सौंदर्य गाया
गजल डूबी गम में
छंद मुस्कराया
कभी व्यंग करते
दोहे रहे है
साहित्यिक सुरों से
सृजन खिलखिलाया
गीतों की धारा ने है सौंदर्य गाया गजल डूबी गम में छंद मुस्कराया कभी व्यंग करते दोहे रहे है साहित्यिक सुरों से सृजन खिलखिलाया
वाह
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