रविवार, 2 फ़रवरी 2025

सृजन खिल खिलाया

गीतों की धारा ने है
 सौंदर्य गाया 
गजल डूबी गम में 
छंद मुस्कराया
कभी व्यंग करते 
दोहे रहे है
साहित्यिक सुरों से 
सृजन खिलखिलाया

1 टिप्पणी:

सृजन खिल खिलाया

गीतों की धारा ने है  सौंदर्य गाया  गजल डूबी गम में  छंद मुस्कराया कभी व्यंग करते  दोहे रहे है साहित्यिक सुरों से  सृजन खिलखिलाया