पल पल और प्रतिपल
भावनाएं छलके
आंसू के भीतर
भींगी हुई पलके
कभी दिल ये हारी
कभी होती भारी
खुशी इसके भीतर
कभी दुख झलके
कभी घुप्प अंधेरा
खामोशियां है
कभी चुप सवेरा
थकी पेशियां है
कभी दिन अधूरे
भरी दोपहर तक
कभी होली खेली
मदहोशीया है
पल पल और प्रतिपल भावनाएं छलके आंसू के भीतर भींगी हुई पलके कभी दिल ये हारी कभी होती भारी खुशी इसके भीतर कभी दुख झलके कभी घुप्प अंधेरा खा...
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