हर ले असत तिमिर
रोशन वह ईमान करे
मजबूत करे जमीर
पग पग पर संघर्ष करे
सत्य करे न शोर
वह मांगे कुछ और नहीं
मांगे मन की भोर
मन के राजा राम रहे
वे दीन के है बल
यह मन साकेत धाम रहे
जपे राम हर पल
नभ में रहता चांद सितारा सूरज का चढ़ता है पारा गर्मी का यह खेल रहा है यह जग मौसम झेल रहा है किस्मत रूठती एक बेचारा बहा पसीना खारा खारा जीव...
जय श्रीराम
जवाब देंहटाएंVery Nice Post.....
जवाब देंहटाएंWelcome to my blog!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 अप्रैल को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर ❤️
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