शनिवार, 12 मई 2012

कल

कल में बसता हल है 
,कल को लेकर चल 
जो कल के न साथ चला मिले है अश्रु जल 
कल की जिसको चाह  नही 
वो क्या जाने फल 
हर पल सुधरा आज तो 
सुधरे  कल हर पल 

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज