शुक्रवार, 22 जून 2012

ह्रदय व्यथा का पता बता दो

हुई दिवानी प्यास पुरानी,साँसों मे क्रन्दन पलता है
ढली जवानी बनी कहानी,दिवाने का दिल छलता है

नीला नीला भरा समन्दर,छुप गये आंसू मन के अन्दर
बही हवाये हालातो की ,विपदाओं के उठे बवंडर
ह्रदय व्यथा का पता बता दो,पीडा से हल कब मिलता है

सूरत का भोलापन ही तो ,भावो का दर्पन न होता
भोलेपन से ही ठग कर तो ,प्यार से हारा दिल है रोता
विरह गरल के प्याले को पी,जीवन मे प्रतिपल चलता है

आशा  ,भाषा,प्रेम पिपासा,मिले नही अब कही दिलासा
दिल वाले को दिल बोली मिल नही पाया प्यार जरा सा
बाल्यकाल से जरा ,जवानी,तन दुर्बल होकर गलता है

जीवन मे है आना -जाना,खुशियो का है कहा खजाना
रिश्तो का है ताना- बाना,हर रिश्ते मे मिला बहाना
भ्रम के बल पर मानव मन है,भ्रमण से न मन खिलता है





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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज