नदि नदि
नही नारी है नारी नारी नही नदि
है
नदि और
नारी सब समझती है सब जानती है
वह अपने
भीतर की कमजोरिया और ताकत
को अच्छी तरह पहचानती है
जीवन
मे कौन है अच्छा और कौन है
बुरा
कौन है
पूर्णता को लिये हुये
और है
अादमी अधुरा
नदि ने
अपना प्रदूषण खुद धोया है
घनघोर
बारिश के भीतर किया है स्नान
अपना आँचल भींगोया है
पर इन्सान
ने अपनी गलतियो को नही सुधारा
और फिर खूब रोया है
नदि और
नारी को कोई कितना भी अपवित्र
कर दे
उसके पास पावनता के साधन
है
और पुरुषो के पास उपयोग है उपभोग
है
शोषण की मानसिकता है ,भोग
के संसाधन है
इसलिये
नदि और नारि की सामर्थ्य को
कोई नही समझ पाया है
नारी
ने नदि बन कर और नदि ने बह-
बह कर अपना अस्तित्व
बचाया है
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