शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

सूरज की संघर्ष यात्रा

उषा साक्षी है 
सूरज के संघर्ष यात्रा की
उसने देखा है 
सूरज के अँधेरे से लड़ने का साहस
सूरज का  वह साहस और पौरुष
 जो हम नहीं देख पाए 
हमें  तो  केवल  सूरज की सम्पूर्णता का ही अहसास है
हम नहीं जान सकते 
सूरज ने  सम्पूर्णता पाने के लिए कौनसे दर्द सहे है
सूरज के ह्रदय में दुखो के कौनसे लावा बहे है
इसके लिए हमें ब्रह्म मुहूर्त में पूरब के क्षितिज 
को निहारना होगा
देखना होगा की एक अन्धेरा 
उदित  होने वाले प्रतिभा के रवि को किस प्रकार डराता है
नया नवेला सूरज  जब उगने को होता है
 तब  अन्धेरा किस तरह गहराता है
जिसने भी सूरज की उस संघर्ष यात्रा को देखा है
प्रतिभा रूपी रवि को उसने ही जाना पहचाना है परखा है 

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ! बहुत सुंदर भाव प्रस्तुति !

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  2. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-10-2013) के चर्चामंच - 1397 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  3. सूरज ने सम्पूर्णता पाने के लिए कौनसे दर्द सहे है
    सूरज के ह्रदय में दुखो के कौनसे लावा बहे है

    बहुत विचारपरक प्रस्तुति

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    और हमारी तरफ से दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें

    How to remove auto "Read more" option from new blog template

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  5. कहते है उगते सूरज को दुनिया प्रणाम करती हैं , पर उसके पीछे के दर्द का एहसास जो आपने करवाया दिल झकझोर दिया

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज