उषा साक्षी है
सूरज के संघर्ष यात्रा की
उसने देखा है
उसने देखा है
सूरज के अँधेरे से लड़ने का साहस
सूरज का वह साहस और पौरुष
सूरज का वह साहस और पौरुष
जो हम नहीं देख पाए
हमें तो केवल सूरज की सम्पूर्णता का ही अहसास है
हम नहीं जान सकते
हम नहीं जान सकते
सूरज ने सम्पूर्णता पाने के लिए कौनसे दर्द सहे है
सूरज के ह्रदय में दुखो के कौनसे लावा बहे है
इसके लिए हमें ब्रह्म मुहूर्त में पूरब के क्षितिज को निहारना होगा
देखना होगा की एक अन्धेरा
सूरज के ह्रदय में दुखो के कौनसे लावा बहे है
इसके लिए हमें ब्रह्म मुहूर्त में पूरब के क्षितिज को निहारना होगा
देखना होगा की एक अन्धेरा
उदित होने वाले प्रतिभा के रवि को किस प्रकार डराता है
नया नवेला सूरज जब उगने को होता है
नया नवेला सूरज जब उगने को होता है
तब अन्धेरा किस तरह गहराता है
जिसने भी सूरज की उस संघर्ष यात्रा को देखा है
प्रतिभा रूपी रवि को उसने ही जाना पहचाना है परखा है
जिसने भी सूरज की उस संघर्ष यात्रा को देखा है
प्रतिभा रूपी रवि को उसने ही जाना पहचाना है परखा है
वाह ! बहुत सुंदर भाव प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-10-2013) के चर्चामंच - 1397 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसूरज ने सम्पूर्णता पाने के लिए कौनसे दर्द सहे है
जवाब देंहटाएंसूरज के ह्रदय में दुखो के कौनसे लावा बहे है
बहुत विचारपरक प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंऔर हमारी तरफ से दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें
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dashhare ki shubh kaamnaaye
जवाब देंहटाएंकहते है उगते सूरज को दुनिया प्रणाम करती हैं , पर उसके पीछे के दर्द का एहसास जो आपने करवाया दिल झकझोर दिया
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