शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

मन अमृत है विष मत घोलो

खुद को तोलो फिर कुछ बोलो 
मन अमृत है विष मत घोलो
जीवन तो वरदान है 

चन्दा तारा यह जग प्यारा 
जीवन सारा तू खुद हारा 
क्यों करता विषपान है?

भाव रंगीले नीले पीले
 चिंतन का वट  तट रेतीले 
करता क्यों अभिमान है ?

पल पल हर पल 
 कल  छल कल छल 
चंचल मन अविराम है 

टिम टिम टिम टिम 

 तारे टिम टिम
 रिम -झिम रिम झिम 
बारिश रिम झिम  कर लेना रस पान है 

राते  गहरी शाम सुनहरी 
दिन गुजरे और उषा ठहरी 
सुबह की  मुस्कान है  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज