शनिवार, 2 अगस्त 2014

मुसीबतो का करते रहे इन्तजार है

उन्हें मुसीबतो से कम और सुविधाओ से बहुत प्यार है 
हम उपाय खोज कर मुसीबतो का  करते रहे इन्तजार है
उनके लिए मुसीबतो का आना एक खौफ है 
मुश्किलो से होती रही हमारी नोक झोक है 
जीवन में मुसीबतो का सिलसिला है 
मुसीबतो के सहारे ही तो हमें यह सब कुछ मिला है 
जीवन के समंदर में कही मीठा तो कही खारा जल है 
करते रहो लहरो को पार 
क्षितिज के उस पार उजला  कल है 
उनकी कथनी और करनी में रहा बहुत भेद है 
मनसा वाचा कर्मणा से हम एक रहे 
तो जीवन गीता उपनिषद वेद है 
परिश्रम के पसीने से जिसने कर्मो को सींचा है 
हर संकल्प में बल है
 हर शब्द एक ब्रह्म और वाक्य उसकी ऋचा है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज