मंगलवार, 22 जुलाई 2014

हे !माधव केशव

काया  भी अब क्षीण हुई ,मिटटी हो गया शव 
अर्जुन सा मन दीजिये, हे !माधव केशव 

राधा सी अब  प्रीत नहीं ,नहीं उध्दव सा ज्ञान 
भव् बंधन से मुक्त करे ,शिव जी की मुस्कान 




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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज