माता से यह देह मिली माता से संस्कार
माँ के पावन चरणों में वंदन बारम्बार
माँ के पावन चरणों में वंदन बारम्बार
माँ ममता को बाँट रही माता का वात्सल्य
माँ से मुक्ति मार्ग मिला माता से केवल्य
माँ का चेहरा भूल गया भुला न पाया स्नेह
हर धड़कन माँ व्याप्त रही व्यापे मन औ देह
माँ ने अब तक दुःख सहा सुख न पायी माँ
माँ मिटटी बन मिट गई दुःख से काँपी माँ
कांप गया नेपाल यहाँ आया जब भूचाल
धरती माता हिल रही पूछती रही सवाल
काया थर थर काँप रही जीर्ण शीर्ण है देह
बूढ़ी आँखे तरस रही मिला न निश्छल स्नेह
माँ की महिमा को भला कौन जान सका है...
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