मंगलवार, 12 मई 2015

माँ और मैं

माता से यह देह मिली माता से संस्कार
माँ के पावन चरणों में वंदन बारम्बार

माँ ममता को बाँट रही माता का वात्सल्य
माँ से मुक्ति मार्ग मिला माता से केवल्य 

माँ का चेहरा भूल गया भुला न पाया स्नेह
हर धड़कन माँ व्याप्त रही व्यापे मन औ देह 

माँ ने अब तक दुःख सहा सुख न पायी माँ
माँ मिटटी बन मिट गई दुःख से काँपी माँ 

कांप गया नेपाल यहाँ आया जब भूचाल
धरती माता हिल रही पूछती रही सवाल 

काया थर थर काँप रही जीर्ण शीर्ण है देह
बूढ़ी आँखे तरस रही मिला न निश्छल स्नेह

 

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