बरसी ज्यो बारिश की बूंदे
प्रियतम चाहत हुई घायल
चित चोर मोरनी थिरक रही
छम छम सी बजती बिन पायल
सरिता में धारा की हलचल
मद मस्त हिलोरे हुई चंचल
उठ और पखेरू उड़ता चल
राह ताक रहे जल के बादल
आशा क्यों अस्त हुई जाती
दीपक की बाती सा तू जल
हो निर्मल मन उजला सा तन
चहकी नदिया महका जंगल
हो निर्मल मन उजला सा तन
जवाब देंहटाएंचहकी नदिया महका जंगल
सुंदर पंक्तियाँ...