छू लो नभ को सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए
अभी भी बहुत साहस है कुछ सांस बाकी है
पा लो खुशियो को हालात से लड़ते हुए
संघर्षो का साथ जज्बातों की बरात बाकी है
जी लो हर पल को उल्लास से बढ़ते हुए
जीवन नहीं है नीरस रस भरा मधुमास बाकी है
बुझा लो प्यास अंजुली भर आचमन से
बहुत ताजा है पानी पूरी बरसात बाकी है
बहुत किलकारियाँ भीड़ है चहु शोर है
मिले ख्वाईश को पंख एक मुलाक़ात बाकी है
जी लो हर पल को उल्लास से बढ़ते हुए
जवाब देंहटाएंजीवन नहीं है नीरस रस भरा मधुमास बाकी है
जीवन के रस को बिखराती हुई सुंदर पंक्तियाँ..