प्यारा सा संसार रहे, प्यार बसे हर बोल
प्रीती और अनुराग लिए ,करवा व्रत को खोल
मन व्यापे न आग कही ,तन व्यापे न दोष
पानी के दो घूँट में ,व्यापत है संतोष
मन न विष का वास रहे, प्रीती हो अटूट
पी ले करवा चौथ पर, पानी के दो घूँट
सूख गया गल कंठ अब ,सजना समझो पीर
प्यारे से परिवार में ,मत खींचो लकीर
सजनी तेरे प्यार में ,चंदा क्या है चीज
आई करवा चौथ है ,बीत गई है तीज
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