शनिवार, 14 नवंबर 2020

क्या करता एक दीप

जग में तम घन घोर रहा, क्या करता एक दीप
जो मर कर भी अमर हुआ , उसका आँगन लीप

महके दीप उजियार यहाँ, चहके खग कलरव
बारूद में मत आग लगा, दीप उत्सव अभिनव

महका हर घर द्वार रहा , चहके खग दल व्योम
दीपोत्सव का सार यही, हो पुलकित हर रोम

जगमग जगमग दीप्त हुआ , दीपो का त्यौहार
दीपो की बारात चली , डोली लिये कहार

1 टिप्पणी:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज