रविवार, 8 नवंबर 2020

साहस की दरकार

जैसे जीवन अश्व रहा, धीरज उसकी लगाम
साहस से है धैर्य बड़ा, धैर्यवान बलवान

निष्ठुर सा व्यवहार रहा ,पत्थर से है भाव 
पत्थर सा इन्सान मिला , घावों पर फिर घाव

दिखता था माधुर्य यहाँ , कोमल सा व्यवहार
ऐसे भी थे लोग भले, जो चले गये भव पार

लेखन में वो धार नही , लेखन नही कटार
सिहासन न डोल रहा, साहस की दरकार

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज