खन खनाती चूड़ियों में
साज है श्रृंगार है
बज रही पायल जहा पर
सुर अपरम्पार है
आंख में लज्जा पानी
बिंदिया लगती सुहानी
स्वर जब कोमल मधुर हो
स्वर्ग यह संसार हैं
जिसने तिरस्कार सहा किया है विष का पान जीवन के कई अर्थ बुने उसका हो सम्मान कुदरत में है भेद नहीं कुदरत में न छेद कुदरत देती रोज दया कुदर...
सच मीठी वाणी का कोई मोल नहीं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति