रविवार, 28 जनवरी 2024

मन की हो अयोध्या


नदिया सा मीठा जल
महकी हुई शाम 
खगदल से गुंजीत हो
कण कण मे राम
पल पल मे खुशियों हो
हर दम मुस्कान 
मन की हो अयोध्या
जीवन निष्काम


चन्दन सा चिंतन हो
सुन्दर हर काम
कुंदन सा जीवन हो
जीवित हो धाम
तन  मन हो हर्षाया
ऐसा निर्माण
मन मे ही  मंदिर हो
मंदिर मे राम

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज