पथ होते पथरीले होती कठिनाई
वनवासी साँसों मे रहते रघुराई
भरत मन हो तो लक्ष्मण सा भाई
चिडियो की बोली भी गाती है नाम
कंकड़ और पत्थर मे रहते है राम
पत्थर जो होता है निष्ठुर निश्प्राण
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
सुंदर सृजन
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