गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

माता का वह लाल

खुद ही  से  जो पूछ  रहा 
खुद से  करे  सवाल 
भीतर से  वह  सौम्य  रहे 
माता का  वह  लाल 

जिसको सुख  की  चाह नहीं 
उसको  क्य़ा  दुःख  देत
दुःख  के  रस्ते यही मिले 
क्या मिट्टी  क्या  रेत 

अंतर्मन  को  सींच  रहा 
साधक धर कर  ध्यान 
रस  पीकर  के  तृप्त  हुआ 
आत्मा  हुई  महान 

प्राणों  का  है  बीज़  रहा 
आत्मा  सूक्ष्म  शरीर 
निज को जो पहचान सका 
वो होता है सुधीर 
माँ  काली  रानी  ताल रीवा 


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