बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

तेरी यादो की बस्ती में हम अपनी हस्ती डुबोये है

तुम्ही बसती हो ख्वाबो में ,
भरपूर नीद न सोये है
तुम्हे क्या मालूम ?
तुम्हारी याद में हम दिन रात रोये है
तुम्ही से है मेरी खुशिया
तुम्ही मेरे हो मन बसिया
तुम्हे पहली नजर देखा
हम तभी से तुम में खोये है

तुम्हारे रूप की चाहत में
हम सपने संजोये है
तेरी बिंदिया मेरी निंदिया
मेरी निंदिया तेरी बिंदिया
तुम्हारे गम से हम आँखों को
अश्को से भींगोये है
तेरे तन मन की खुशबू तो
बसी है मेरी सांसो में
तेरी यादो की बस्ती में
हम अपनी हस्ती डुबोये है

समुन्दर बन गया शबनम
दीप खुशियों के बुझोये है
मधुर यादो के मोती को ,
चितवन में पिरोये है
वे मीठे मीत के रिश्ते
जो भाते है ,नहीं पाते
उन्हें पाने की ख्वाहिश में
मिलन के बीज बोये है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज