बुधवार, 7 दिसंबर 2011

तुम्हारे उजले कर्मों से ,खुश भगवान होता है




सजा दे गीत मे क्रन्दन दुखी होकर क्यो रोता है
मिला उसको वही फल है जो जैसा बीज बोता है ||ध्रुव पद ||

पतन की राह पर चलकर ,पतित इन्सान होता है
सही हमराही मिल जाये ,सफर आसान होता है
केवल सपने सजाने से ,नही मंजिल मिला करती
सतत यत्नों के बल पर तो ,तेरा हर काम होता है ||1||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तेरे ईमान डिगने का ,पता सभी को होता है
तुझे मालुम नही बंदे ,तू हर विश्वास खोता है
कभी सच्चाई की आवाजको ,अपना स्वर दे देना
हमारे सारे कर्मो का ,खूब हिसाब होता है || 2||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
यदि है राह पर कांटे,तो आँखे क्यो भिंगोता है
बना दे जिन्दगी सरगम ,जग खुशियों का ढोता है
पराई पीर मे अपनी पीर की तलाश कर लेना
पराई पीर के भीतर अजीब अहसास होता है || 3||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शिथिल कर माया के बंधन ,समय प्यारा क्यो खोता है
लगा ले चिन्तन का मधुबन ,मधु मय छन्द होता है
किसी गमगीन चेहरे को ,मधुर मुस्कान दे देना
मधुर मुस्कान है वरदान ,खुश भगवान होता है || 4||
सजा दे गीत मे क्रन्दन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,









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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज